उत्तराखंड में ‘सरकार गिराने’ के बयान पर बवाल, 3-3 पूर्व मुख्यमंत्रियों की तल्ख टिप्पणी, सदन की गरिमा पर सवाल!

देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों ‘500 करोड़ खर्च करके सरकार गिराने’ की चर्चाएं सियासी गलियारों में खूब हो रही है. हालांकि, इस मामले पर खुलकर कुछ सामने नहीं आया. इसलिए इस विषय पर कोई ज्यादा गंभीर नजर नहीं आ रहा है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के तमाम वरिष्ठ नेता जो कि अपने जीवन में बड़ा राजनीतिक अनुभव रखते हैं, वे इस मामले पर बेहद सख्त नजर आ रहे हैं. खासकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अपनी-अपनी तरह से टिप्पणी कर रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्रियों की ओर से इस मुद्दे पर टिप्पणियों की एकमात्र वजह वो बयान है, जो किसी चौक चौराहे पर नहीं बल्कि, प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत यानी विधानसभा सदन के भीतर एक विधायक की ओर दिया गया है. उत्तराखंड के तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात को माना है कि इस तरह के बयान को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दिया जाना चाहिए. इस तरह के बयान को तुरंत ही नजरअंदाज किया जाना चाहिए, लेकिन यदि यह विधानसभा सदन के भीतर कहा गया है तो इसकी गंभीरता को भी समझना चाहिए. सीधे तौर से उत्तराखंड के कई बड़े नेता विधानसभा सदन की अहमियत को बता रहे हैं.

https://x.com/harishrawatcmuk/status/1829121513200476381?s=46&t=3j7-xYJgP1E0ubRbz_PPYg

विधानसभा सत्र से उठी यह बात: दरअसल, यह पूरा मामला गैरसैंण मानसून सत्र के दौरान 24 अगस्त का है. जब सदन के भीतर आखिरी दिन अनुपूरक बजट पर चर्चा कर पास किया जाना था. उसी दिन कई विधेयक और अध्यादेश भी सदन में पारित किए जाने थे, लेकिन उससे पहले ही खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने एक बेहद गंभीर बयान सदन के भीतर दे दिया.

उमेश कुमार देहरादून के एक व्यवसाय की आत्महत्या पर बोलते-बोलते सहारनपुर के गुप्ता बंधुओं और उनके कामों तक बोल गए. उन्होंने ये तक कह दिया कि 500 करोड़ खर्च करके सरकार गिराने की साजिश की जा रही है. सदन के भीतर निर्दलीय विधायक के बयान ने खलबली मच गई तो वहीं सदन के भीतर दिए गए बयान पर मुख्यमंत्री से भी प्रतिक्रिया ली गई, जिस पर उनका कहना था कि यह बयान सदन के भीतर दिया गया है, इसी से इसकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जाना चाहिए.

उत्तराखंड के अनुभवी नेताओं ने दी अपनी सख्त टिप्पणी: गैरसैंण में मानसून सत्र के दौरान निर्दलीय विधायक उमेश कुमार सरकार गिराने को लेकर दिए गए बयान और उस पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया के बाद मामला सुर्खियों में आ गया था. इसी बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस मामले की गंभीरता पर जोर देते हुए अपना बयान जारी कर दिया. जिससे मामला तूल पकड़ने लगा.

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना था कि कोई व्यक्ति कुछ भी कहे, उस पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. ऐसे में खुफिया एजेंसियां इसका संज्ञान लेगी. उनका कहना था कि मुख्यमंत्री के बयान के बाद यह मामला बेहद गंभीर हो जाता है. सरकार और बीजेपी को सामने आना चाहिए और बताना चाहिए कि आखिर माजरा क्या है?

हरीश रावत के बयान के बाद बीजेपी के खेमे से आने लगी प्रतिक्रिया: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बयान के बाद बीजेपी के अपने खेमे से भी इस मामले पर प्रतिक्रिया आने लगी. यह प्रतिक्रिया किसी छोटे नेताओं की नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के आने लगे. इन नेताओं ने इस मामले पर अपने विचार रखें और मामले को बेहद गंभीर बताया.

पूर्व सीएम निशंक ने कही ये बात: सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बयान दिया कि सदन की गरिमा को समझना चाहिए. यदि मजबूत तथ्य हो, तभी सदन में किसी बात को कहा जाना चाहिए. केवल सनसनी फैलाने के लिए सदन में कोई बात नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सदन किसी चौराहे पर दिए जाने वाले भाषण का अड्डा नहीं है, वहां पर हर एक शब्द को तोल-मोल कर बोला जाना चाहिए.

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भी दिया बयान: वहीं, इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की बात को आगे बढ़ते हुए बीजेपी के ही एक और अन्य पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले की गंभीरता पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का राजनीतिक अनुभव बेहद बड़ा है और उन्होंने जो सवाल इस मामले पर उठाए हैं, उसका वो शत फीसदी समर्थन करते हैं. उनका कहना था कि इतने गंभीर विषय पर ना तो किसी विधायक ने सदन के भीतर और ना ही सदन के बाहर खंडन किया है और ना ही स्थिति स्पष्ट की है.

उनका कहना था कि सरकारी सदस्यों ने भी इस मामले पर कोई खंडन नहीं किया. हालांकि, उन्होंने अपने बयान में ये भी कहा है जिस व्यक्ति ने यह सवाल सदन में उठाया, वो विश्वसनीय व्यक्ति नहीं है और ना ही उसे उत्तराखंड के सरोकारों से कुछ लेना-देना है, लेकिन यदि विधानसभा के भीतर कोई बात कही गई है तो वो विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होती है.

Leave a Comment