केदारनाथ विधानसभा के गांवों को यातायात सुविधा प्रदान करने के लिए वर्षों पहले स्वीकृत किए गए कई मोटर मार्ग जमीन पर नहीं उतर पाए हैं। केदारघाटी के गाँवों के लिए वर्ष 2005-06 से 2010-11 तक, थपलगाँव-डोका, मानधर-चामक, चोपता-लोदला, फफणज-बरसाल, चूनीबंद-विद्यापीठ, कंडारा-दौला, मस्तूरा-दैरा, त्रियुगीनारायण-तोशी, फाटा- फाटा- तरसली, रांसी-गाउंडर, ऊखीमठ-सरुना, मस्तूरा-दिलमी सहित कई मोटर मार्ग स्वीकृत किए गए।
लेकिन एक दशक बाद भी, इन सड़कों के लिए वन भूमि का हस्तांतरण नहीं हुआ है, जिसके कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा, ग्राम प्रधान वीर सिंह पंवार, जगत सिंह, योगेंद्र सिंह आदि का कहना है कि मोटरमार्गों का निर्माण नहीं होने के कारण ग्रामीणों को रोजमर्रा के कामों के लिए मीलों की दूरी नापनी पड़ती है। इधर, लोनिवि के कार्यकारी अभियंता मनोज भट्ट ने कहा कि रांसी-गाउंडर सहित कुछ मोटर मार्गों के लिए भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जबकि अन्य मार्गों पर फाइलें नोडल से राज्य और केंद्र तक लंबित हैं। उम्मीद है कि इस साल कई मार्गों का निर्माण शुरू हो जाएगा।