देहरादून: पांच राज्यों के चुनाव नतीजों (Election Result) के बाद दो नामों की सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें एक हैं लाभ सिंह उगोके और दूसरे हैं भुवन कापड़ी। दोनों ने अपने-अपने राज्य में मुख्यमंत्रियों को हराया है। जहां लाभ सिंह (Labh Singh) ने पंजाब में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjeet Singh Channi) को हराया वहीं भुवन कापड़ी (Bhuwan Kapri) ने उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को पराजित किया। भुवन कापड़ी की जीत इसलिए ज्यादा अहम है कि उन्होंने सीएम को तब हराया, जब पूरे राज्य में भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) की लहर थी। पुष्कर सिंह धामी को भाजपा के सीनियर नेता और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) पहले ही फ्लावर नहीं फायर बता चुके थे। ऐसे में भुवन ने अपने व्यवहार की बदौलत इस सीट को हासिल कर ली।
सबके लिए हमेशा मौजूद रहते हैं भुवन
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हराने वाले युवा कांग्रेस नेता भुवन कापड़ी का राजनीतिक सफर संघर्ष भरी कहानी है। साल 2004 में भुवन कापड़ी ने खटीमा स्थित डिग्री कॉलेज में छात्र राजनीति से अपनी शुरुआत की। वह खटीमा कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे। 40 वर्षीय भुवन कापड़ी ने उत्तराखंड के विश्वसनीय कांग्रेस नेताओं में अपनी पहचान बनाई। उनके पिता खटीमा में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं।
भुवन अपने पिता के काम में भी मदद करते हैं, और साथ ही साथ राजनीति में भी सक्रिय रहते हैं। पिछले दिनों वह उत्तराखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए। साल 2017 में भी वह विधानसभा चुनाव लड़े थे। उन्होंने तब भी पुष्कर सिंह धामी को कड़ी टक्कर दी थी, मगर तब वह मुख्यमंत्री नहीं थे। इस बार उन्होंने धामी को मुख्यमंत्री रहते हुए हरा दिया है। कापड़ी उत्तराखंड यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
साल 2017 के चुनाव में जब मोदी लहर का प्रचंड असर था, कापड़ी सिर्फ 2709 वोटों के अंतर से धामी से हारे थे। तब भुवन चंद्र कापड़ी को कुल 26,830 और बीजेपी प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी को 29,539 वोट मिले थे। सीएम धामी को हराने के बाद चर्चा में आए भुवन चंद्र कापड़ी 49.30 लाख रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। नामांकनपत्र के साथ दाखिल हलफनामे के मुताबिक उनके पास 34 लाख रुपये की अचल और 15.3 लाख रुपये की चल संपत्ति है। इस चुनाव में धामी के मुख्यमंत्री होने के बावजूद भुवन कापड़ी की जीत के पीछे उनकी सर्वसुलभ छवि की सबसे बड़ी भूमिका रही।
खुद कापड़ी का भी कहना है कि लोग चौबीसों घंटे उपलब्ध होने वाले नेता को चुनते हैं। उनके अनुसार ‘राजनीति पूरे समय का समर्पण मांगती है। लेकिन कापड़ी को अपनी जीत से जितनी खुशी है, उससे ज्यादा इस बात का मलाल है कि प्रदेश में कांग्रेस नहीं जीत पाई। वह कहते हैं कि कांग्रेस को आने वाले पांच सालों में बेहद कड़ी मेहनत कर लोगों के बीच अपनी पैठ बनानी होगी। जनता का भरोसा अगर जीत लिया तो कोई भी लहर हो, उससे पार पाया जा सकता है।
भुवन कापड़ी और पुष्कर सिंह धामी- दोनों ही पिथौरागढ़ जिले के मूल निवासी हैं। देखने वाली बात होगी कि कापड़ी ने मुख्यमंत्री को हराकर अपनी जो एक नई छवि गढ़ी है, उससे आने वाले दिनों में कांग्रेस को कितना फायदा होता है।