उत्तराखंड में इस समय कोरोना अपने चरम पर है। पूरे राज्य में संक्रमण की यह दूसरी लहर चल रही है. इस बीच राज्य में तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है। यह लहर बच्चों के लिए बेहद घातक बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि कोरोना की इस तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ेगा।
तीसरी लहर से पहले राज्य में कोरोना की दूसरी लहर भी तेजी से बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है. यह लगभग हर उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से कई बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. रुद्रप्रयाग जिले में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है और यहां संक्रमित बच्चों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. रुद्रप्रयाग में अब तक 274 बच्चे इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 71 बच्चे अब होम आइसोलेट हैं।
उत्तराखंड : राज्य में आज 3626 लोग कोरोना पॉजिटिव, 70 लोगों की मौत और 8731 स्वस्थ होकर घरों को लौटे
जिला अस्पताल समेत सीएचसी, पीएचसी समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में रोजाना लगातार बच्चे ओपीडी में पहुंच रहे हैं और लगभग सभी को बुखार है। तेजी से वायरल फीवर का असर बच्चों पर साफ देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से संक्रमित बच्चों की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। इस बुखार के मौसम में बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
रुद्रप्रयाग जिले के तीनों विकासखंडों में 1 साल के भीतर कुल 274 बच्चे संक्रमित हुए हैं और इन बच्चों की उम्र 1 से 14 साल बताई जा रही है. इनमें 168 लड़के और 106 लड़कियां शामिल हैं। 274 बच्चों में से 203 ठीक हो चुके हैं, जबकि 71 बच्चों को उनके घरों में आइसोलेट कर दिया गया है और वे अभी ठीक होने के चरण में हैं।
जिला उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष का कहना है कि इस समय कोरोना के साथ-साथ वायरल फीवर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और छोटे बच्चे इसकी चपेट में अधिक आ रहे हैं। इसका कारण यह है कि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में वायरल फीवर उन्हें आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है।
इसी के साथ अगर घर में कोई बड़ा संक्रमण हो रहा है तो उनके घर के बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीएचसी, पीएचसी और विकासखंड में तैनात डॉक्टरों की निगरानी में बच्चों की देखरेख की जा रही है और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में बच्चों की रोजाना मॉनिटरिंग भी की जा रही है. संक्रमित नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की विशेष रूप से निगरानी की जा रही है और बच्चों को नियमित रूप से विटामिन और अन्य आवश्यक दवाएं दी जा रही है।