Uttarakhand News : गांवों में पहुंचा कोरोना, 8 संवेदनशील राज्यों में शामिल हुआ उतराखंड़
कोरोना महामारी अब उत्तराखंड के गांवों में दस्तक दे चुकी है। संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच पूरे स्वास्थ्य तंत्र को सक्रिय करने की जरूरत है, ताकि लोगों की सुरक्षा की जा सके।
इन दिनों पहाड़ के कई गांवों में बुखार फैल चुका है. लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन डर के मारे अस्पताल नहीं जा रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल आप भी देख रहे हैं। कोविड के इलाज से दूर लोगों को सैंपल जांच की रिपोर्ट आने तक कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
आपको बातें दे केंद्र सरकार ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं.
केंद्र ने उत्तराखंड को उन आठ राज्यों में शामिल किया है जहां ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
ऐसे में अब राज्य सरकार के सामने एक और चुनौती खड़ी हो गई है. कुछ समय पहले तक मैदानी जिलों में संक्रमण के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे थे, लेकिन अब खतरा गांवों तक पहुंच गया है.
समस्या यह है कि पहाड़ में न तो जांच की सुविधा है और न ही इलाज, जिससे यहां जांच भी कम हो रही है।
राज्य सरकार ने दूरदराज के इलाकों के लिए मोबाइल टेस्टिंग लैब सेवा शुरू करने की बात कही थी, लेकिन यह योजना भी धरातल पर नहीं उतर सकी.
पहाड़ी जिलों में जांच नहीं होने का मतलब है कि कोरोना पर काबू पाना और मुश्किल हो जाएगा. ग्राम पंचायतों के स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव है।
जांच से लेकर इलाज तक पंचायत पूरी तरह से स्वास्थ्य विभाग पर निर्भर है। कोरोना के बिगड़ते हालात से गांव के लोग भी डरे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हमें संक्रमण और बीमारी का डर नहीं है, बल्कि इलाज की व्यवस्था न होने का डर है। गांव में कई किलोमीटर तक अस्पताल नहीं है।
गांव वाले हर समय भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि गांव में कोई बीमार न पड़े। ग्रामीणों के अनुसार राज्य सरकार को चाहिए कि वह मैदानी इलाकों की तरह गांवों में भी कोविड सेंटर बनाए ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें बेहतर इलाज मिल सके. संक्रमण की रोकथाम के लिए भी प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
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