केंद्र की मदद से उत्तराखंड का चारधाम रेल परियोजना से जुड़ने जा रहा है। प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है। बद्रीनाथ और केदारनाथ के साथ गंगोत्री और यमुनोत्री धाम को रेल सेवा से जोड़ने की तैयारी की जा रही है. कुछ महीने पहले बद्रीनाथ-केदारनाथ रेल लाइन परियोजना की डीपीआर तैयार कर रेलवे बोर्ड को भेजी गई थी।
इसी कड़ी में प्रस्तावित रेलवे लाइन के सीमांकन, सर्वे और मार्किंग का काम भी पूरा कर लिया गया है. रेल परियोजना में कहां-कहां रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे, इसके लिए जगह तय कर ली गई है।
रेलवे की जमीन के चारों तरफ खंभे लगा दिए गए हैं। सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच रोपवे चलाने की योजना है, इसका प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजा जाएगा। आइए जानते हैं इस प्रोजेक्ट की मुख्य बातें। रेलवे विकास निगम लिमिटेड के अनुसार केदारनाथ रेल लाइन कर्णप्रयाग से सोनप्रयाग तक 91 किमी लंबी होगी।
इसी तरह कर्णप्रयाग-बद्रीनाथ रेल लाइन परियोजना के तहत जोशीमठ तक 68 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई जाएगी. कर्णप्रयाग से केदारनाथ तक 6 रेलवे स्टेशन होंगे। जबकि कर्णप्रयाग से बद्रीनाथ तक 5 स्टेशन बनाए जाएंगे। जिन स्थानों से होकर रेलवे लाइन गुजरेगी, वहां खंभे लगाए गए हैं। कर्णप्रयाग और केदारनाथ के बीच साईकोट, बदरेथ, चोपता-फलासी, मक्कुमठ, गडगू और सोनप्रयाग में रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे। चोपता-फलासी, मक्कुमठ और गडगू में भूमिगत रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे।
बद्रीनाथ रेलवे लाइन पर सैकोट, त्रिपक, पीपलकोटी, हेलंग और जोशीमठ में रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे। केदारनाथ रेलवे रूट पर 19 और बद्रीनाथ रूट पर 11 टनल बनाई जाएंगी। इसी तरह गंगोत्री-यमुनोत्री धाम को भी रेल सेवा से जोड़ा जाना है। इस रेलवे लाइन पर रानीपोखरी, जाजल, मरदरा, कंडीसौर, सरोट, चिन्यालीसौर, डूंडा, उत्तरकाशी, मतली और नंदगांव-बड़कोट में दस स्टेशन बनाए जाएंगे।
सब कुछ सीमांकित कर दिया गया है। यह रेलवे लाइन 103 किमी लंबी है। केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग तक और बद्रीनाथ के लिए जोशीमठ तक रेल ट्रैक बनेगा। इससे आगे रोपवे सेवा चलाने की योजना है।