उत्तराखंड में जीडीपी की तर्ज पर लागू हुआ जीईपी, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना
ग्रॉस इनवायरमेंट प्रोडक्ट (जीईपी) का आकलन भी उत्तराखंड में जीडीपी की तर्ज पर होगा। उत्तराखंड में राजस्व, नगर निकायों और वन विभागों के रिकॉर्ड में दर्ज सभी तालाबों और अन्य जल स्रोतों को एक साल के भीतर पुनर्जीवित किया जाएगा। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने यह घोषणा की।
मंत्री ने कहा कि अब राज्य के सभी सचिवों, डीएम और विभागाध्यक्षों को पर्यावरण बजट मिलेगा। यह बजट पर्यावरण संरक्षण पर खर्च किया जाएगा। सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में वन मंत्री ने कहा कि वर्षा जल के संरक्षण के लिए सरकारी अभिलेखों में दर्ज सभी जलाशयों को एक साल के भीतर पुनर्जीवित किया जाएगा। यदि किसी जलस्रोत पर अतिक्रमण है तो उसे हटाकर पुनर्जीवित किया जाएगा।
जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि अब हम ग्रॉस इनवायरमेंट प्रोडक्ट (जीईपी) का भी आकलन करेंगे। जिससे पता चलेगा कि प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण कितना हो रहा है। उन्होंने कहा कि जीईपी का फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है। यह जानने के लिए कि इसे कैसे मापा जाएगा। उत्तराखंड जीईपी की घोषणा करने वाला देश का पहला राज्य होगा। पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी लंबे समय से जीईपी को लागू करने की पैरवी कर रहे थे।
मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा काम करने वाले विभागों और जिलों को अगले विश्व पर्यावरण दिवस पर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने का यह एक अच्छा तरीका है। पौधरोपण का लक्ष्य विभागों या अधिकारियों को देना हमारी मंशा नहीं है। यह कार्य उन्हें स्वयं जागरूकता के साथ करना चाहिए।
मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस पर राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से जलवायु बजट शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी विभाग अपने वार्षिक बजट में इस मद के लिए अलग से पैसा रखेंगे, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रति सभी उत्तरदायी बन सकें। इसके साथ ही राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज सभी तालाब और स्रोतों को एक साल के भीतर पुनर्जीवित किया जाएगा।