जखोली ब्लॉक की ग्राम पंचायत दरमोला में गंगा स्नान व विधि-विधान के साथ पांडव नृत्य शुरू हो गया है। मौके पर पंचनाम देवताओं का आह्वान कर विशेष पूजा-अर्चना भी की गई। अनुष्ठान में प्रवासी ग्रामीणों के साथ ध्याणियों को भी आमंत्रित किया गया।
इगास (एकादशी) के पावन पर्व पर सुबह पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ दरमोला गांव से अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम पर पहुंचे ग्रामीणों ने भगवान बदरीविशाल, लक्ष्मीनारायण, शंकरनाथ, तुंगनाथ, नागराजा, चामुंडा देवी हीत देवता, ब्रह्मडुंगी और भैरवनाथ सहित अन्य देव निषाणों के साथ पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों को गंगा स्नान कराया। साथ ही पूजा-अर्चना की। मौके पर संगम तट समेत पूरा क्षेत्र जयकारों से गूंज उठा। देवता अपने पश्वाओं पर अवरित हुए और भक्तों को आशीर्वाद दिया। पूर्वाह्न 11 बजे ढोल-दमाऊं व भंगुर के गूंज के साथ देव निषाणों ने अपने थान (स्थान) के लिए प्रस्थान किया।
दोपहर बाद गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने देव निषाण व पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों का फूल-माला व अक्षत से स्वागत कर सामूहिक अर्घ्य लगाया। इसके बाद विधि-विधान से निषाण व अस्त्र-शस्त्रों को पांडव चौक स्थित थान पर स्थापित किया गया। पांडव नृत्य कमेटी के अध्यक्ष जयपाल सिंह पंवार, कोषाध्यक्ष राजेंद्र सिंह कप्रवाण, पुजारी कीर्तिराम डिमरी, गिरीश डिमरी, किशन रावत, जीत सिंह पंवार, अरविंद पंवार ने बताया कि ग्राम पंचायत दरमोला व राजस्व ग्राम तरवाड़ी में एक-एक वर्ष छोड़कर नियमित रूप से पांडव नृत्य होता है। इससे पूर्व शनिवार देर शाम को दरमोला वे ढोल-दमाऊं व अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ पांडवों के अस्त्र-शस्त्र व देव निषाण गंगा स्नान को रुद्रप्रयाग संगम पहुंचे थे। यहां पर चार पहर की पूजा-अर्चना के साथ ग्रामीणों द्वारा जागरण का आयोजन किया गया था।