देहरादून: प्रकृति के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं है। यह प्रकृति ही है, जो हमें खुद से जोड़े रखती है। उत्तराखंड के लोकजीवन में प्रकृति का विशेष महत्व है। इसी प्रकृति के सम्मान का पर्व है फूलदेई। जिसे प्रकृति उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
Phulari festival will be celebrated in all the schools
नई पीढ़ी को इस पर्व से जोड़ने के लिए गढ़वाल मंडल में एक शानदार पहल होने जा रही है। गढ़वाल मंडल के सभी स्कूलों में पहली बार 14 मार्च को लोकपर्व फूलदेई मनाया जाएगा। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा, गढ़वाल मंडल महावीर सिंह बिष्ट ने समस्त विद्यालयों के प्रधानाचार्य को पत्र जारी कर लोक पर्व मनाने के निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि फूलदेई उत्तराखंड का पौराणिक व पारंपरिक लोक पर्व है। वर्तमान में यह विलुप्ति की कगार पर है। पारंपरिक विरासत से नई पीढ़ी को जोड़कर इसे संरक्षित करने में सभी की सहभागिता जरूरी है।
शैलनट गढ़वाल हिमालय नाटक संस्था और फूलदेई संक्रांति श्रीनगर की पहल पर मंडल में एक नया प्रयास शुरू किया जा रहा है। 14 मार्च को गढ़वाल मंडल के समस्त विद्यालयों में बच्चे गोगा माता की डोली के साथ प्रभात फेरी निकालेंगे। विद्यालयों में 6 सदस्य टीम के साथ चैती गायन का आयोजन भी किया जाएगा। जो छात्र प्रतियोगिता में अव्वल आएंगे। उन्हें सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि फूलदेई पर्व बसंत ऋतु और नववर्ष के आगमन पर मनाया जाता है।
यह पर्व पूरी तरह बच्चों को समर्पित पर्व है। इसलिए इसे बाल पर्व भी कहा जाता है। बीते दिनों अलग-अलग संस्थाओं के सदस्यों ने अपर निदेशक को पत्र भेजकर उत्तराखंड के स्कूलों में फूलदेई के आयोजन और इसे विलुप्ति की कगार से बचाने के लिए योगदान देने की अपील की थी। जिस पर अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने मंडल के सभी स्कूलों में लोकपर्व फूलदेई मनाने के निर्देश प्रधानाचार्य को जारी किए हैं।