Sunday, April 2, 2023
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शिक्षक भास्कर जोशी बने उत्तराखंड के पहले गूगल सर्टिफाइड एजुकेटर

डिजिटल इंडिया का सपना आज भी शिक्षा में तकनीक के शत-प्रतिशत उपयोग के अभाव में अधूरा है। तकनीकी कौशल की कमी के कारण अधिकांश सरकारी स्कूलों में शिक्षक बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे हैं जो सामयिक दृष्टि से जरूरी है। वहीं कुछ शिक्षक इस मामले में मिसाल बन रहे हैं।

अल्मोड़ा जिले के धौला देवी ब्लॉक के दूरस्थ शासकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला के सहायक शिक्षक भास्कर जोशी ने युवाओं को तकनीक के साथ तालमेल बिठाने की दिशा में एक नई उपलब्धि हासिल की है।

वह उत्तराखंड के पहले Google सर्टिफाइड एजुकेटर बन गए हैं। खास बात यह है कि गुरुजी ने अपने स्कूल की वेबसाइट गूगल पर बनाकर 500 से ज्यादा वर्कशीट और खुद के एनिमेटेड वीडियो अपलोड किए हैं। सहायक शिक्षकों का कहना है कि इससे विदेश से आए बच्चे भी कोरोना काल में सुचारू रूप से पढ़ाई कर सकेंगे।

वैश्विक आपदा ने न केवल मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था बल्कि शिक्षा को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। लेकिन तकनीक के इस्तेमाल से प्राथमिक विद्यालय बजेला के सहायक शिक्षक भास्कर जोशी ने इसका हल ढूंढ़कर उत्तराखंड को गौरवान्वित किया ।

उनकी उपलब्धि से अन्य शिक्षक भी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग तथा गहन प्रशिक्षण के लिए प्रेरित होंगे। वर्तमान में भास्कर जोशी देहरादून के साथी राजेश पांडे के साथ बच्चों के लिए ऑनलाइन पत्रिका डुगडुगी के प्रकाशन में शामिल हैं।

पिछले साल भास्कर जोशी ने कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने के लिए राज्य का पहला व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया था। उन्होंने इसे अपर्याप्त माना और व्यवस्थित शिक्षण कार्य के लिए नवीन शोध किया। यह पता चला कि Google ने शिक्षा के लिए गूगल फॉर एजूकेशन को शामिल किया है। प्रौद्योगिकी से लदी यह सेवा नि:शुल्क है। टीचर भास्कर का कहना है कि टेक्नोलॉजी से भरा यह प्लेटफॉर्म काफी परेशानी को दूर कर सकता है।

गूगल फॉर एजुकेशन के तमाम टूल्स में महारत हासिल करने के बाद सहायक अध्यापक भास्कर ने 10 डॉलर यानी 850 रुपये की फीस देकर इंटरनेशनल एग्जाम दिया। इसे पास करने के बाद गूगल ने उन्हें यह अवॉर्ड दिया है।

Google प्रमाणित शिक्षक बनने पर कक्षा में Google के माध्यम से कई तकनीकी टूल और ऐप्स के बारे में बताया जा सकता है। प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आसान है। बच्चों को रचनात्मक तरीके से तकनीकी उपकरणों के उपयोग के बारे में समझाया जा सकता है। पेशेवर विकास और आजीवन सीखने में शिक्षकों को शामिल करता है।

प्राथमिक विद्यालय बजेला धौला देवी के Google शिक्षक भास्कर जोशी ने कहा कि भविष्य की शिक्षा के मामले में दूरदर्शी सोच और स्मार्ट शिक्षकों की भारी कमी है। यही कारण है कि सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के बच्चे स्मार्ट एजुकेशन टेक्नोलॉजी का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। जब तक हम शिक्षा में प्रौद्योगिकी का 100% उपयोग नहीं करते, डिजिटल इंडिया का सपना अधूरा रह जाता है।

यह शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाकर नए लोगों को नवीनतम ज्ञान दें। कोरोना से जंग जीतकर अगर स्कूल खुलते हैं तो वे प्रबंधन समिति को ट्रेनिंग देंगे और वेबसाइट चलाएंगे। ताकि उन्हें मध्याह्न भोजन, बच्चों की उपस्थिति, परीक्षा आदि की पूरी जानकारी मिल सके।

Ankur Singhhttps://hilllive.in
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