देहरादून। शासन द्वारा ग्रांट जारी करने के बाद भी प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों का वेतन जारी नहीं हुआ। इससे शिक्षकों में रोष बढ़ता जा रहा है।
इस संबंध में गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (ग्रुटा) व राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा को पत्र भेजकर तीन का लम्बित वेतन जारी करने की गुहार लगाई है। प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों को तीन माह से वेतन न मिलने पर आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है।
नौ जून को शासन स्तर से वेतन मद में 104 करोड़ रुपये की स्वीकृति का शासनादेश जारी होने के सांथ ही 52 करोड़ रुपये निर्गत भी हो गए थे लेकिन उच्च शिक्षा निदेशालय से जनपद व महाविद्यालयवार वित्तीय अनुदान के आवंटन का आदेश जारी नहीं हुआ। इस कारण कोरोना संकट होने के बाद भी तीन से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है।
इसके चलते ग्रुटा के अध्यक्ष डा. डीके त्यागी व राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड के कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रशांत सिंह ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. घन सिंह रावत को पत्र भेजकर शिक्षकों की समस्याओं से अवगत पत्र में शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों की देखते हुए तत्काल वेतन निर्गत करने के आदेश मांग उठाई।
इसके अलावा पत्र में डा. डीके त्यागी व डा. प्रशांत सिंह ने कहा है कि उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा शासन से अनुमति लिये बगैर ही गत 24 मार्च को अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों के पंदोन््नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
इस संबंध में शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि मंडल की मांग पर मुख्यमंत्री द्वारा दो जून को पदोन्नति प्रक्रिया को पूर्णतया बहाल करने के आदेश दिया गया था, लेकिन उच्च शिक्षा निदेशालय ने सिर्फ आंशिक रोक हटाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री से नई पदोन््नतियों पर वर्तमान तक लगी रोक तत्काल हटाने एवं के रेगुलेशन के मुताबिक पदोन्नति करने की मांग की हैं।