पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड को यूं ही सैन्य भूमि नहीं कहा जाता है। कुछ तो बात है यहां की भूमि में। भारतीय सेना और उत्तराखंड का अटूट संबंध है जो कि दिन-प्रतिदिन और मजबूत होता जाता है। यहां स्कूल से ही बच्चों के अंदर भारतीय सेना में जाने का उत्साह नजर आता है। इसी कड़ी में उत्तराखंड ने एक बार फिर तमाम राज्यों को पछाड़ कर एक बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है। देशभर में भारतीय सेना को योग्य अफसर देने के लिए 24 सैनिक स्कूल चल रहे हैं। इन तमाम सैनिक स्कूलों में से उत्तराखंड का Ghorakhal Sainik School अलग स्थान रखता है।
यहां हर 3 में से 1 छात्र अफसर है
रक्षा मंत्रालय द्वारा हुए ताजे विश्लेषण में ऐसा सामने आया है कि पिछले दस सालों में यहां से औसतन 33.4 प्रतिशत छात्र सेना में अफसर बने हैं। जी हां, यानी कि इस स्कूल का हर तीन में एक छात्र सेना के तीनों अंगों में बतौर अफसर देश की सेवा कर रहा है। सबसे खास बात यह है कि और किसी राज्य के सैनिक स्कूल ने इस आंकड़े को नहीं छुआ है। मात्र नैनीताल में स्थित सैनिक स्कूल ने अपने नाम यह उपलब्धि की है। हर 3 में से 1 छात्र यहां अफसर बनता है। मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक, यह संख्या देश के किसी भी अन्य सैनिक स्कूल के मुकाबले सबसे ज्यादा है।
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने एनडीए, नौसेना अकादमी और अन्य दूसरी सैन्य अकादमियों में पढ़कर अफसर बने सैनिक स्कूलों के छात्रों का ब्यौरा इकट्ठा कर दस साल का औसत निकाला है। इसमें सैनिक स्कूल घोड़ाखाल सबसे टॉप पर रहा है। वहीं, दूसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश स्थित सुजानपुर तीरा सैनिक स्कूल रहा। यहां से औसतन 30.5 फीसदी छात्र सेना में अफसर चुने गए हैं। तीसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश का कोरुकोडा सैनिक स्कूल रहा है, जहां के औसतन 24.3 फीसदी छात्र अफसर नियुक्त हुए।
इसके बाद रीवा, सतारा और चितौड़गढ़ के सैनिक स्कूल का नाम है, जहां से बीते दस वर्षों में औसतन 19.1, 18.5 और 17 फीसदी छात्र सैन्य अधिकारी बने हैं। सबसे बुरा प्रदर्शन नागालैंड का रहा। रिपोर्ट के मुताबिक यहां महज एक प्रतिशत से भी कम छात्र सैन्य अफसर बने। वहीं भुवनेश्वर सैनिक स्कूल से 3.9, जम्मू-कश्मीर के नगरौटा से 4.7 फीसदी, कोडागु (कर्नाटक) सैनिक स्कूल से 5.3 फीसदी तथा गौलपारा (असम) से सिर्फ 5.9 छात्र सैन्य अफसर बने हैं। Uttarakhand का Ghorakhal Sainik School यूं ही प्रगति करे, हमारी ये ही कामना है।