नैनीताल: उत्तराखंड का प्रसिद्ध कैंची धाम। वो दिव्य और अलौकिक मंदिर जिसने फेसबुक संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स और जूलिया रॉबर्ट्स जैसी बड़ी हस्तियों को आध्यात्म की राह दिखाई। इन लोगों ने भी माना कि उन्हें जीवन में सफल होने का सूत्र भारत में उत्तराखंड के एक मंदिर में मिला।
ये मंदिर बाबा नीम करौली का मशहूर कैंची धाम ही है। खूबसूरत पहाड़ी के बीच स्थित इस मंदिर को अब और दिव्य-भव्य बनाने की कवायद शुरू हो गई है। राज्य सरकार इसे चारधाम की तर्ज पर विकसित करेगी। जिलाधिकारी नैनीताल ने परियोजना तैयार कर शासन को रिपोर्ट भेज दी है। जिस पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने खुद इसकी निगरानी की बात कही है। कुछ दिनों पहले उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने नैनीताल जिला प्रशासन को कैंची धाम चारधाम के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव मांगा था, जिसके बाद ये प्रस्ताव तैयार किया गया है।
मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 60 करोड़ रुपये की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई है। निर्माण की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) को दी गई है। 60 करोड़ के बजट से मंदिर में क्या-क्या काम होंगे, ये भी बताते हैं।
डीएम प्रशासन ने बताया कि कैंची धाम मंदिर के भीतर किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। मंदिर के बाहर ही लगभग एक किलोमीटर के दायरे में सभी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। आस-पास बनने वाले होटल पहाड़ी शैली में बनेंगे। जिसके लिए अल्मोड़ा से लाये गए पत्थर का इस्तेमाल होगा। ये काम क्षेत्रीय कारीगरों से कराया जाएगा। यहां पहुंचने वाले लोग पहाड़ी वास्तुकला शैली से भी रूबरू हो सकेंगे। कैंची धाम में भव्य ध्यान केंद्र बनाया जाएगा। जो कि दो मंजिला होगा। इसमें सत्संग हॉल भी बनेगा। योगा हॉल के साथ ओपन डेस्क बनाई जाएगी। आधुनिक शौचालय और लिफ्ट की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके अलावा आयुर्वेदिक उपचार हॉल का निर्माण किया जाएगा।
कैंची धाम में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में मंदिर के बाहर जाम लगना लाजिमी है। इस समस्या से निजात पाने के लिए यहां बहुमंजिला पार्किंग कांप्लेक्स बनाया जाएगा। जिसमें 400 से अधिक गाड़ियां खड़ी हो सकेंगी। धाम के पास 1.3 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनेगा। इसके अलावा ओपन एयर थिएटर, फूड कोर्ट भी होंगे। शिप्रा नदी के घाटों का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। कैंची धाम बाबा नीम करौली का साधनास्थल है। श्रद्धालुओं का मानना है कि उनके पास दिव्य शक्तियां थीं। नैनीताल-अल्मोड़ा रोड पर 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर शिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ है।