Monday, May 29, 2023
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उत्तराखंड: भांग की खेती के लिए जारी हुआ पहला लाइसेंस, कमा सकते हैं 3 गुना मुनाफा

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क्या आप जानते हैं कि औद्योगिक भांग की खेती से किसान कम से कम तीन गुना मुनाफा कमा सकते हैं? उत्तराखंड के पहले इन्वेस्टर्स समिट में इंडिया इंडस्ट्रियल हेम्प एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित शर्मा जब आए थे तो उन्होंने यह बात कही थी।

सामान्य रूप से भांग और औद्योगिक भांग के बीच के अंतर को समझना महत्वपूर्ण है। इन दोनों में बड़ा अंतर है। ये दोनों पौधे एक ही परिवार के हैं लेकिन इनकी प्रजातियां अलग-अलग हैं। नशे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भांग में 30 प्रतिशत तक टेट्राहाइड्रोकेनोबिनॉल होता है।

इसके विपरीत औद्योगिक भांग में यह राशि 0.3 प्रतिशत से भी कम है। टीएचसी केमिकल ही नशे के लिए जिम्मेदार है। अब सवाल यह है कि भांग के रेशे से क्या बनाया जा सकता है और इसका उपयोग कहां किया जाता है।

भांग का उपयोग फाइबर, कॉस्मेटिक और दवा, एमडीएफ प्लाईवुड बनाने के लिए किया जाता है। निर्माण उद्योग में इस किस्म की भांग की भारी मांग है। इसका उपयोग कुपोषण को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसमें ओमेगा -3 और ओमेगा -6 सहित कई उच्च प्रोटीन होते हैं। भारत में औद्योगिक गांजा फाइबर की वार्षिक मांग 150,000 टन के करीब है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी आपूर्ति के लिए हमें इसे चीन से आयात करना पड़ता है।

अब उत्तराखँड के बागेश्वर जिले में रोजगार का सृजन करने के लिए भांग की खेती का पहला लाइसेंस हिमालयन मॉक को मिल गया है। इससे स्थानीय बेरोजगारों के लिए रोजगार सृजन का रास्ता खुला है।जिला प्रशासन ने हैम्प कल्टीकेशन पाइलट प्रोजेक्ट के तहत औद्योगिक एवं औद्यानिकी प्रयोजन के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप भांग की खेती को हरी झंडी दी है।

इधर गरुड़ तहसील के भोजगण निवासी प्रदीप पंत ने भांग की खेती के लिए आवेदन किया था. तमाम जांच और कागजी कार्रवाई के बाद जिला प्रशासन ने बुधवार को जिले का पहला लाइसेंस जारी कर दिया है. भांग के बीज में टेट्रा हाइड्रो कैनाबिनोल का स्तर 0.3 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। जिला प्रशासन नशे के स्तर की सत्यता की जांच करेगा। भांग से बने सीबीडी असयल का इस्तेमाल साबुन, शैंपू व दवाइयां बनाने में किया जाएगा।

कागज बनाने के लिए भांग से सेलूलोज़ का उपयोग किया जाएगा। हैम्प प्लास्टिक भी तैयार होगी, जो बायोडिग्रेबल होगी। वह समय के साथ मिट्टी में घुल जाएगी। भांग के रेशे से कपड़े बनाए जाएंगे। हैम्प प्रोटीन बेबी फूड बाडी बिल्डिंग में प्रयोग होगा तो हेम्प ब्रिक वातावरण को शुद्ध करेगा। यह कार्बन को खींचता है। जिससे वातावरण में कार्बन की मात्रा कम होगी।

Ankur Singh
Ankur Singh
Ankur Singh is an Indian Journalist, known as the Senior journalist of Hill Live
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