राज्य में कोरोना संक्रमण दर कम होने लगी है, लेकिन पहाड़ी जिलों में अभी भी स्थिति नियंत्रण में नहीं है. पहाड़ी कस्बों से लेकर दूरदराज के गांवों तक इस महामारी ने दस्तक दे दी है। लोगों को जांच रिपोर्ट से लेकर दवा तक कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। प्रदेश में मैदानी इलाकों की तुलना में पहाड़ों में कोरोना संक्रमण की दर अधिक है।
पिछले सात दिनों में सैंपल जांच के आधार पर चार पहाड़ी जिलों में संक्रमण की दर 10 फीसदी से ज्यादा दर्ज की गई है। पौड़ी लोगों के लिए एक परेशान करने वाली खबर भी है, क्योंकि पौड़ी गढ़वाल वह पहाड़ी जिला है, जो संक्रमण की दर में पहले स्थान पर है। पौड़ी जिले में सबसे अधिक संक्रमण दर 10.54 प्रतिशत दर्ज की गई है। वहीं अगर देहरादून, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार के मैदानी जिलों की बात करें तो यहां संक्रमण दर 3 से 5 फीसदी के बीच है।
मैदानी जिलों में जांच से लेकर इलाज तक के बेहतर इंतजाम हैं । प्रशासन भी काफी सख्ती बरत रहा है इसलिए कोरोना नियंत्रण में आने लगा है, लेकिन पहाड़ में हालात बिगड़ रहे हैं। पहाड़ी जिलों में मैदानी इलाकों की तुलना में सैंपल टेस्टिंग कम हो रही है और संक्रमित मामले ज्यादा मिल रहे हैं. देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंहनगर के मैदानी जिलों में सैंपल टेस्ट ज्यादा होने से नए मरीज कम मिल रहे हैं।
सात दिनों के भीतर 13 जिलों में 2.47 लाख से अधिक नमूनों की जांच की गई। जिसमें 14819 नए मरीज मिले हैं। संक्रमण दर की बात करें तो पौड़ी जिले में सबसे ज्यादा संक्रमण दर 10.54 फीसदी दर्ज की गई है. इसी तरह चमोली, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में संक्रमण दर 10 फीसदी से ऊपर है. मैदानी जिलों की बात करें तो देहरादून में संक्रमण दर 5.35 फीसदी, उधमसिंह नगर में 5.13 फीसदी और नैनीताल में संक्रमण दर 8.75 फीसदी है।
सबसे कम संक्रमण दर हरिद्वार जिले में है, जो 2.91 प्रतिशत है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में जांच कम होने के बाद भी संक्रमित मामले ज्यादा हो रहे हैं. संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि पहाड़ों में कोविड जांच बढ़ाई जाए, ताकि कोरोना को फैलने से रोका जा सके।