पहाड़ की जीवन रेखा मानी जाने वाली निजी बसें फिर दौड़ने लगेंगी। सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की उत्तराखंड बस ऑपरेटर्स महासंघ से वार्ता सफल रही। शुक्रवार को मांग के मुताबिक परिवहन विभाग शासनादेश जारी कर सकता है।
दरअसल, कोविड कर्फ्यू के बाद निजी बसों के मालिक 50 प्रतिशत यात्री क्षमता वाली बस के संचालन में असमर्थता जता रहे थे. उन्होंने कहा कि कोरोना लॉकडाउन की तरह इस बार भी उन्हें 50 प्रतिशत यात्री क्षमता के साथ दोगुना किराया वसूलने का मौका दिया जाए। इससे सरकार ने इनकार कर दिया था। जिसके बाद 2 मई से गढ़वाल और कुमाऊं में इन बसों का संचालन ठप हो गया। इस दौरान सरकार से बातचीत की कई कोशिशें की गईं, लेकिन सफलता नहीं मिली।
रोडवेज और इन बसों के किराए में करीब 20 से 30 पैसे प्रति किलोमीटर का अंतर है।
गुरुवार को बस ऑपरेटर्स महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने सरकारी प्रवक्ता और मंत्री सुबोध उनियाल से मुलाकात की. उन्होंने अपने सामने दूसरा प्रस्ताव रखा कि उन्हें 50 के बजाय 75 प्रतिशत यात्री क्षमता और रोडवेज बसों के बराबर किराया लेने की अनुमति दी जाए।
क्योंकि रोडवेज और इन बसों के किराए में करीब 20 से 30 पैसे प्रति किलोमीटर का अंतर है। इस पर मंत्री उनियाल ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से बातचीत की। बातचीत के बाद सरकार ने इस बात पर सहमति जताई कि निजी बस संचालक यात्रियों से 75 फीसदी के साथ-साथ डेढ़ गुना किराया भी वसूल सकेंगे।
मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि शुक्रवार को इस संबंध में शासनादेश भी जारी कर दिया जाएगा। उधर, बस आपरेटर महासंघ के एक अधिकारी मनोज ध्यानी ने कहा कि शासनादेश जारी होते ही राज्य भर में बसों का संचालन फिर से शुरू कर दिया जाएगा।