उत्तराखंड का धार्मिक शहर हरिद्वार कभी अपनी आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता था। लेकिन अब हरिद्वार की सूरत पूरी तरह बदल चुकी है। हरिद्वार जिले का नाम कलंकित किया गया है। यहां रहने वाले लोग शहर को प्रदूषित करने और बदनाम करने से बाज नहीं आ रहे हैं। पवित्र नगरी हरिद्वार में वेश्यावृत्ति से जुड़े गिरोहों की सक्रियता बढ़ती जा रही है।
हरिद्वार में बड़ी संख्या में वेश्यावृत्ति करने वाले गिरोह हैं जो होटलों के अंदर वेश्यावृत्ति का धंधा चला रहे हैं। शरीर का यह शर्मनाक कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। वेश्यावृत्ति के धंधे से जुड़कर कई होटल अमीर हो रहे हैं। हरिद्वार में बढ़ती वेश्यावृत्ति का एक और कारण है। दरअसल, पिछले साल से ही कोरोना का कहर अपने चरम पर है और पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन जिले के लोगों को कोविड से बचाने के लिए हर संभव इंतजाम करने में जुटा है.
हरिद्वार के कई होटलों ने इस व्यस्तता का फायदा उठाया और इस दौरान वे वेश्यावृत्ति के धंधे से जुड़कर अमीर हो रहे हैं. रेलवे स्टेशन रानीपुर मोड़ और आसपास के कुछ होटलों के अंदर देह व्यापार का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी भनक पुलिस प्रशासन को भी नहीं है।
पर्यटन विभाग, प्रशासन और पुलिस आंख मूंद कर बैठे हैं और हरिद्वार जिले में खुलेआम वेश्यावृत्ति का यह शर्मनाक धंधा चल रहा है और धर्म की नगरी का नाम खराब हो रहा है. हरिद्वार के होटलों में खुलेआम चल रही देह व्यापार के बारे में पर्यटन विभाग भी सब कुछ जानता है, लेकिन पर्यटन विभाग भी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठा है. पुलिस का खुफिया विभाग इस अवैध धंधे में कोई भी जानकारी जुटाने में ढिलाई बरत रहा है.
कुल मिलाकर हरिद्वार शहर ऐसे लोगों से भरा हुआ है और इन्हीं लोगों की वजह से धर्मनगरी में अधर्म फैल रहा है और सब कुछ जानकर पर्यटन से लेकर पुलिस विभाग तक खाली वेतन लेने में लगा हुआ है. देह व्यापार में लिप्त महिलाएं ग्राहकों से 2 से 5 हजार रुपये वसूलती हैं। दरअसल, इन महिलाओं के उन होटलों से सौदे होते हैं, जिनका कारोबार कम है और जहां कम यात्री ठहरने आते हैं।
वेश्यावृत्ति में लगी महिलाएं ग्राहकों से पैसे लेकर होटलों में ले जाती हैं और होटल और लड़कियां पैसे बांटती हैं। ऐसे में इन होटलों का धंधा वेश्यावृत्ति के धंधे से चल रहा है और कारोबारी ऐसे शर्मनाक धंधे से पैसा कमा रहे हैं. हरिद्वार में धड़ल्ले से देह व्यापार का धंधा चल रहा है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस विभाग और प्रशासन की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.