Saturday, May 24, 2025
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मैक्स हॉस्पिटल देहरादून ने 31 वर्षीय महिला की बचाई जान, पहली बार ECMO का इस्तेमाल कर किया इलाज

सहारनपुर: मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून के डॉक्टरों ने सहारनपुर निवासी 31 वर्षीय कीर्ति मलिक को जीवनदान दिया है, जो स्वाइन फ्लू के कारण गंभीर निमोनिया से पीड़ित थीं और उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, अस्पताल ने सफलतापूर्वक एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजनशन (ECMO) का इस्तेमाल किया। यह एक अत्याधुनिक जीवनरक्षक तकनीक है, जिसका उपयोग उन गंभीर स्थितियों में किया जाता है जब हृदय या फेफड़े प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पाते और शरीर को आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान नहीं कर पाते हैं।

यह पहली बार है, जब मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून में ECMO का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। यह प्रयास डॉ. वैभव चाचरा, प्रिंसिपल कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून व डॉ. ऋचा लोहानी ECMO फिजिशियन ने अपनी प्रशिक्षित टीम के साथ किया ।
कीर्ति मलिक को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, जिसके इलाज के लिए वह सहारनपुर के एक स्थानीय अस्पताल में गई लेकिन उनकी स्थिति में कोई सुधार न होने पर डॉक्टरों ने उन्हें हायर सेंटर रेफर किया, जहां से वह मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून आई।

जनवरी 2025 में जब कीर्ति मैक्स अस्पताल देहरादून पहुंचीं, तब उनकी हालत काफी गंभीर थी। उन्हें निमोनिया के कारण फेफड़ों में काफी नुकसान हुआ था, जिससे उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो गया था। इमरजेंसी को देखते हुए, उन्हें तुरंत आईसीयू (ICU) में भर्ती किया गया। शुरू में उन्हें नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन उनकी हालत तेजी से बिगड़ती गई, जिससे उन्हें इनवेसिव वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा। इसके बावजूद, उनका ऑक्सीजन लेवल में कोई सुधार नहीं आया, इस बीच जांच में पता चला कि उन्हें स्वाइन फ्लू हो गया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई।

इसके बाद डॉक्टर्स ने परिवार से बात करके ECMO का सहारा लेने का निर्णय लिया।

डॉ. वैभव चाचरा, कंसलेन्टेंट, पल्मोनोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून ने बताया कि “यह उन जटिल केस में से एक था, जिनका सामना हमें अक्सर करना पड़ता है। मरीज की जान बचाने के लिए सटीक समन्वय, तुरंत निर्णय लेना और हमारी विशेषज्ञ टीम के अनुभव की आवश्यकता थी। यदि स्वाइन फ्लू का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। हमारी टीम ने मरीज को ECMO सपोर्ट पर रखा—यह एक उन्नत जीवनरक्षक तकनीक है, जो डायलिसिस की तरह कार्य करती है। यह अशुद्ध रक्त को बाहर निकालकर उसे शुद्ध करती है और ऑक्सीजन युक्त रक्त को फेफड़ों में वापस पहुंचाती है। ECMO पर छह दिन बिताने के बाद उनकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। फेफड़ों की सूजन कम होने लगी, और क्षतिग्रस्त फेफड़े पुनः स्वस्थ होने लगे। लगभग एक महीने तक संघर्ष के बाद, 10 फरवरी को उन्हें स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह पूरी तरह स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन व्यतीत कर रही हैं।“

डॉ. चाचरा ने आगे कहा “कोई भी बीमारी मामूली नहीं होती, विशेष रूप से वायरल बुखार या हल्का निमोनिया। यदि इन्हें अनदेखा किया जाए, तो ये गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं। इस मामले में, यदि कीर्ति को सही समय पर ECMO सपोर्ट नहीं मिला होता, तो उनकी जान बचाना मुश्किल हो जाता।”

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून, जटिल और गंभीर मामलों के उपचार में विशेषज्ञता, सटीकता और समर्पण के साथ अपनी कुशलता को लगातार साबित करता आ रहा है।

Ankur Singh
Ankur Singhhttps://hilllive.in
Ankur Singh is an Indian Journalist, known as the Senior journalist of Hill Live
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