टिहरी गढ़वाल के एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली रश्मि बेलवाल ने अपनी मेहनत और लगन से वो मुकाम हासिल किया है, जो कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। लर्नेट इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स के माध्यम से TITP/SSW कार्यक्रम के तहत रश्मि का चयन जापान में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नौकरी के लिए हुआ है।
रश्मि की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने रश्मि के माता-पिता से भेंट कर उन्हें बधाई दी और रश्मि को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बेटियां जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करती हैं, तो यह पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व की बात होती है।
रश्मि ने कठिन परिश्रम से जापानी भाषा की N4 स्तर की परीक्षा पास कर यह मुकाम हासिल किया है। अब वह जापान में एक प्रतिष्ठित संस्थान में सेवा देने को तैयार हैं। उनकी इस सफलता पर आज लर्नेट इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स परिसर में एक सम्मान समारोह का आयोजन भी किया गया, जिसमें रश्मि और उनके अभिभावकों को सम्मानित किया गया।
इस विशेष अवसर पर कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पार्षद और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री कमली भट्ट उपस्थित रहीं। संस्थान के रीजनल हेड रमेश पेटवाल ने उन्हें पुष्पगुच्छ और शॉल भेंट कर सम्मानित किया।
पेटवाल ने बताया कि संस्थान द्वारा अब तक सैकड़ों पहाड़ी छात्र-छात्राओं को जापानी भाषा सिखाकर जापान में रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब संस्थान जर्मनी में भी नर्सिंग छात्रों के लिए जॉब प्लेसमेंट प्रोग्राम शुरू कर चुका है, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पंजीकरण करवा रहे हैं।
मुख्य अतिथि कमली भट्ट ने संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि, “जापान जैसे विकसित देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना किसी दूरदर्शी सोच और सशक्त क्रियान्वयन का परिणाम है।”
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन योजना की नोडल अधिकारी विनीता बडोनी, ऑपरेशनल हेड अविनाश कुमार, ओवरसीज प्लेसमेंट एंड ट्रेनिंग हेड उमा शंकर उनियाल, नर्सिंग ऑफिसर अंकित भट्ट, गुंजन बोरा सहित अन्य स्टाफ सदस्य और प्रशिक्षु उपस्थित रहे।
संस्थान के माध्यम से अब कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में भी प्रशिक्षण शुरू किया गया है, जिससे आने वाले समय में इन क्षेत्रों में भी युवाओं को जापान में रोजगार मिल सकेगा।
रश्मि की यह सफलता केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक संदेश है – कि अगर सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और हौसला हो, तो पहाड़ की बेटियां भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर परचम लहरा सकती हैं।