Tuesday, October 14, 2025
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पहले मोदी, फिर योगी…अब निशाने पर पुष्कर धामी.! उत्तराखंड में विकास पर भ्रम फैलाने की पुरानी प्रवृत्ति फिर सक्रिय

  • सूचना और दुष्प्रचार में फर्क समझना ही सच्ची जागरूकता

देश में जब भी किसी राज्य या नेतृत्व ने ईमानदारी से विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं, तब कुछ सोशल मीडिया, यूट्ब प्लेटफ़ॉर्म या समूह उन्हें निगेटिव नैरेटिव में धकेलने की कोशिश करते रहे हैं। यह पैटर्न नया नहीं है, बस पात्र और स्थान बदलते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भारत ने डिजिटल ट्रांजेक्शन, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत जैसी योजनाओं से विश्व पटल पर नई पहचान बनाई, तब भी कुछ रिपोर्टें केवल कमियां खोजने में व्यस्त रहीं। साल 2022 में, कांग्रेस के इशारे पर कुछ सोशल मीडिया व यूट्ब प्लेटफ़ॉर्म ने झूठे नैरेटिव तैयार किए और टूल किट के जरिए देश में भ्रम फैला दिया।

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कानून व्यवस्था सुधार, निवेश और रोजगार सृजन के बावजूद कुछ सोशल मीडिया व यूट्ब प्लेटफ़ॉर्म ने वर्ष 2021 में सरकार पर पक्षपात और छवि निर्माण के आरोप लगाए। जबकि ज़मीन पर आम जनता ने बदलाव महसूस किया।

अब वही प्रवृत्ति उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में देखी जा रही है। राज्य निवेश, पर्यटन और उद्योग में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। भ्रष्टाचार पर सख्ती, समान नागरिक संहिता, लैंड जिहाद पर कड़ी कार्रवाई, 25,000 से अधिक सरकारी भर्तियां, सख्त धर्मांतरण कानून और उपद्रवियों पर कार्रवाई जैसी ऐतिहासिक पहलें भी यहां जारी हैं। लेकिन जैसे ही विकास की गति तेज होती है, भ्रम फैलाने वाली राजनीति भी सक्रिय हो जाती है। रिपोर्टों और लेखों के ज़रिए ऐसे नैरेटिव गढ़े जाते हैं, जिनका उद्देश्य तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर धारणा बनाना होता है। उत्तराखंड में भी यही हुआ। कांग्रेस और सहयोगी दलों के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं होने पर उन्होंने कुछ सोशल मीडिया व यूट्ब प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से फेक नेगेटिव नैरेटिव तैयार कर भ्रम की राजनीति शुरू कर दी।

सूचना और दुष्प्रचार में फर्क समझना ही सच्ची जागरूकता
सवाल यही है कि जब कोई सरकार या नेता अपने काम से जनता के बीच विश्वास बना रहा हो, तो कुछ समूह क्यों चाहतें हैं कि उस भरोसे को डगमगाया जाए.? लोकतंत्र में सवाल पूछना जरूरी है, लेकिन सवालों के पीछे की मंशा भी उतनी ही अहम होती है। अगर मंशा विकास को रोकने या भ्रम फैलाने की हो, तो लोकतंत्र की आत्मा कमजोर होती है। जनता के लिए यही सबसे बड़ा सबक है–सूचना और दुष्प्रचार में फर्क समझना, तभी सच्ची जागरूकता और निर्णय क्षमता बनती है।

Ankur Singh
Ankur Singhhttps://hilllive.in
Ankur Singh is an Indian Journalist, known as the Senior journalist of Hill Live
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