प्रशासन के लिए केदारनाथ यात्रा कराना बड़ी चुनौती, जानें क्या है अड़चन

रुद्रप्रयाग: लोकसभा चुनाव को लेकर 19 अप्रैल को मतदान होना है. केदारनाथ धाम की यात्रा का आगाज शीतकालीन गद्दीस्थल से डोली रवाना के साथ पांच मई को होगा. ऐसे में जिला प्रशासन के सामने एक तरफ लोकसभा चुनाव को संपन्न कराने की बड़ी चुनौती है, तो दूसरी तरफ केदारनाथ यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं को दूर करने की भी जिम्मेदारी है. केदारनाथ पैदल मार्ग पर बर्फ हटाने का काम शुरू हो चुका है. पैदल मार्ग के कई जगहों पर छः से सात जगहों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर बने हुए थे, जिन्हें काटकर रास्ता बनाया गया है.

बता दें कि लोनिवि गुप्तकाशी के मजदूर अभी भी बर्फ हटाने के कार्य में जुटे हुए हैं. पैदल मार्ग से बर्फ हटने के बाद केदारनाथ पैदल मार्ग पर भी निर्माण कार्य शुरू हो जाएंगे और बर्फ से जिन-जिन स्थानों पर रास्ता क्षतिग्रस्त हुआ है, वहां कार्य शुरू किया जाएगा. इसके बाद केदारनाथ धाम में दूरसंचार, पेयजल, बिजली सहित रहने और खाने की समुचित व्यवस्थाएं भी करनी होगी. यात्रा शुरू होने से पहले केदारनाथ पैदल मार्ग के लिनचोली और बेस कैंप से लेकर धाम में टेंट लगाए जाने हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव के बीच यात्रा व्यवस्थाओं की तैयारियां करना भी प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

जिले के चार से पांच गांव ऐसे हैं, जिन्होंने चुनाव बहिष्कार का मन बनाया है. जिसमें जिले का सबसे बड़ा गांव बावई भी शामिल है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सड़क, पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन ने मतदान से पहले उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया, तो वे लोकसभा चुनाव का बहिष्कार के लिए मजबूर हो जाएंगे.

जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ ही केदारनाथ यात्रा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी है. चुनाव और यात्रा को लेकर टीमें बनाई गई हैं, जो अपना-अपना काम कर रही हैं. किसी भी सूरत में चुनाव में अशांति फैलने नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि जिन गांवों में चुनाव बहिष्कार की बात कही जा रही है, वहां प्रशासन की टीमें जाकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास करेगी. लोकसभा चुनाव के बाद केदारनाथ यात्रा का आगाज होना है. इस बार की केदारनाथ यात्रा देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए खास रहने वाली है.

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