रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा आज से शुरू हो चुकी हैं. वहीं पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात व चन्द्रशिला की तलहटी मे विराजमान भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गयी हैं.
भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर महिलाओं ने मांगल गीतों व भक्तों ने बाबा शंकर के उद्घोष किया. इसी के साथ डोली के पुढखी नामक स्थान पर पहुंचने पर भक्तों ने नये अनाज का भोग अर्पित कर विश्व शांति व समृद्धि की कामना की. भोग अर्पित करने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मन्दिर पहुंच गयी है.
एक मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मन्दिर से रवाना होकर पाव, चिलियाखोड, पंगेर, बनियाकुंड यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. इसके बाद दो मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट वेद ऋचाओं के साथ शुभ लग्न अनुसार ग्रीष्म काल के लिए खोल दिये जायेगे.
बुधवार को भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ में ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों ने पंचांग पूजन के तहत अनेक पूजाएं संपन्न कर भगवान तुंगनाथ सहित तैंतीस कोटी देवी-देवताओं का आवाहन किया. ठीक दस बजे भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी और भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने मर्कटेश्वर तीर्थ की तीन परिक्रमा कर कैलाश के लिए रवाना हुई. भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर भक्तों ने पुष्प, अक्षत्रों से अगुवाई की तथा लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर मनौती मांगी.