Monday, September 8, 2025
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Homeउत्तराखंडप्रदेश में संस्थागत प्रसव से घटी नवजात शिशु मृत्यु दर

प्रदेश में संस्थागत प्रसव से घटी नवजात शिशु मृत्यु दर

विषम भौगौलिक परिस्थितियों और अन्य चुनौतियों के बावजूद भी प्रदेश में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में आई उल्लेखनीय गिरावट राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ होने का प्रमाण है। यह उपलब्धि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व व सतत प्रयासों का प्रतिफल है, जिनकी पहल पर प्रदेशभर में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिला और आशाओं के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। जिसका नतीजा है कि राज्य में नवजात मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई।

भारत सरकार के महापंजीयक की ओर से जारी किये गये वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में नवजात मृत्यु दर 15 प्रति हजार जीवित जन्म, शिशु मृत्यु दर 21 प्रति हजार जीवित जन्म तथा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 25 प्रति हजार जीवित जन्म है। जो पिछले वर्षों की तुलना में भारी कमी दर्शाते हैं। यह सुधार राज्य के मजबूत स्वास्थ्य ढांचे और स्वास्थ्य विभाग की धरातल पर की गई पहलों का प्रत्यक्ष प्रणाम है। इसका श्रेय प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को जाता है। जिनके मार्गदर्शन में प्रदेशभर में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित किया गया और गर्भवती महिलाओं के शतप्रतिशत टीकाकरण एवं समुचित देखभाल हेतु आशाओं के माध्यम से विशेष अभियान चलाये गये। साथ ही खुशियों की सवारी योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ भी गर्भवती महिलाओं को पहुंचाया गया। जो शिशु मुत्यु दर में गिरावट में अहम साबित हुये।

इसके अलावा प्रदेशभर में नवजात की देखभाल के लिये चिकित्सा इकाईयों में सुविधाओं का भी दायरा बढ़ाया गया। जिसमें राज्य के अस्पतालों में 4 नवजात आई.सी.यू स्थापित किये गये। इसके अलावा 9 स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट, 34 न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट, 289 नवजात शिशु देखभाल कार्नर तथा 47 कंगारू मदर केयर यूनिट संचालित की जा रही है। जबकि वर्ष 2024-25 में जिला चिकित्सालय देहरादून व रूद्रप्रयाग में न्यू बोर्न केयर यूनिट क्रियाशील किये गये। जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2024-2025 में नवजात आईसीयू, स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में कुल 4,643 नवजातों का सफल उपचार किया गया।

इसके साथ ही प्रदेशभर में एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत 6-59 माह आयु बच्चों को आयरन फोलिक एसिड सिरप की खुराखें दी गई। साथ ही प्रदेशभर में 5 से 9 आयु वर्ष के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड पिंक टैबलेट दी गई। वहीं स्टॉप डायरिया अभियान के तहत 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों का ओआरएस तथा जिंक कवरेज 90 फीसदी रहा। जिससे बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाव मिला। से दूर रखा।
प्रदेश के चार जनपदों देहरादून, पिथौरागढ़, नैनीताल और अल्मोड़ में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट कर्मियों के लिये डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पातल नई दिल्ली के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा 15 दिवसीय ऑन-साइट हैंड होल्डिंग की गई। इस पहल से राज्य के चिकित्सकों की नैदानिक दक्षता और सेवा मानक में व्यापक सुधार हुआ।

बयान-
भारत सरकार के महापंजीयक सर्वे-2022 की रिपोर्ट खासी उत्साहजनक है। राज्य में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में आई कमी इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं। इसमें सबसे अहम भूमिका आशाओं की रही, जिनके अथक प्रयासों से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य देखभाल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राज्य सरकार शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिये लगातार प्रयासरत है। – डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड।

Ankur Singh
Ankur Singhhttps://hilllive.in
Ankur Singh is an Indian Journalist, known as the Senior journalist of Hill Live
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