चारधाम में दर्शनों के लिए सीमित हुई यात्रियों की संख्या, विरोध में उतरा चारधाम होटल एसोसिएशन

चारधाम होटल एसोसिएशन की ओर से प्रदेश सरकार से चारधाम यात्रा में यात्रियों के सीमित संख्या की व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की गई है. एसोसिएशन का कहना है कि अगर धामों और यात्रा रूटों पर मूलभूत व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखा जाएगा तो यात्रियों के सीमित संख्या करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. उन्होंने कहा यदि उनकी मांगों को पूरी नही किया तो वह कपाट खोलने के समय से अपने होटल बंद कर देगें, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी. इसके साथ ही सड़कों पर आंदोलन किया जायेगा.

रविवार को एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी ने कहा पिछले साल की तरह इस बार भी सरकार ने चारधामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ व बदरीनाथ के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित करने का निर्णय लिया है. जिससे चारधाम यात्रा से जुड़े पर्यटन व्यवसायियों में निराशा का माहौल है. एक ओर सरकार होटल, होमस्टे खोलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, दूसरी ओर अपनी कमियों को छुपाने के लिए इस तरह के नियम थोप रही है. उन्होंने कहा गत वर्ष भी प्रदेश सरकार ने यात्रियों की सीमित संख्या की व्यवस्था की थी. जिससे चारों धामों से जुड़े होटल सहित अन्य सभी कारोबारियों को नुकसान हुआ था.

इस 6 माह में प्रदेश के बड़े और छोटे व्यापारी सभी चारधाम यात्रा से अपनी आय सृजित करते हैं, लेकिन जिस प्रकार से अभी से ऑनलाइन पंजीकरण में धामों के स्लाॅट फुल दिखा रहे हैं, उससे देश में चारधाम यात्रा को लेकर गलत संदेश जा रहा है. इसलिए ऑनलाईन के साथ ऑफलाईन पंजीकरण को चारों धामों में पूर्व की भांति भी खुला रखा जाए. पुरी ने कहा यात्रियों की सीमित संख्या की व्यवस्था करने से अच्छा है कि धामों के यात्रा रुटों पर शौचालय, पानी बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं को दुरूस्त किया जाये. इसके साथ ही यमुनोत्री और केदारनाथ धाम में घोड़ा-खच्चर का संचालन व्यवस्थित तरीके से किया जाये.

उत्तरकाशी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र मटूड़ा ने कहा राज्य की अर्थव्यवस्था पर्यटन व तीर्थाटन पर टिकी हुई है. इस तुगलगी फरमान से पर्यटन व्यवसायियों में सरकार के ​खिलाफ आक्रोश है. उन्होंने इस निर्णय के ​खिलाफ सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ने का निर्णय वापस नहीं लेने पर होटल बंद रखने की चेतावनी दी. बता दें इस बार सरकार ने चारधामों में तीर्थायात्रियों के प्रतिदिन दर्शन की संख्या सीमित करते हुए यमुनोत्री के लिए 9 हजार, गंगोत्री के लिए 11 हजार व केदारनाथ के लिए 18 हजार और बदरीनाथ के लिए 20 हजार कर दी है.

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