01 अगस्त 2024 की रात्रि को हुई अतिवृष्टि के चलते ममनी जखोली मोटर मार्ग के किलोमीटर 01 पर जैमर तोक में हुए भूस्खलन के कारण बजीरा गावं के 50 परिवारों के लिए खतरा बन गया है। गौरतलब है की बजीरा गांव के निचली तरफ तिलवाड़ा घनसाली मोटर मार्ग भी लगातार भूधंसाव के चलते मोटरमार्ग की हालात खराब रहती है।
इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए ग्राम प्रधान बजीरा श्री दिनेश सिंह चौहान के द्वारा उपजिलाधिकारी जखोली, क्षेत्रीय विधायक श्री भारत सिंह चौधरी,अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग रुद्रप्रयाग को पत्र लिखकर मामले की गंभीरता से अवगत कराया गया है।
प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड राज्य में आपदा प्रभावित गांवों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अधिकतर गढ़वाल मंडल में ही यह संख्या लगातार बढ़ रही है।जिस अनुपात में गावों का प्रभावित हुए इसके उलट आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की गति तेजी नहीं पकड़ पाई। अब तक कई ऐसे गांव हैं जिन्हें विस्थापन का इंतजार है। लगातार खतरे के साये में जीने को मजबूर पीड़ित सरकार की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं और अपने पुनर्वास की राह देख रहे हैं। ऐसे गांवों के पुनर्वास की मुहिम चल रही है, लेकिन जिन आपदा प्रभावित गांवों को पुनर्वास का होना है, वहां के निवासियों की इस आस के पूरा होने का इंतजार है। यही कारण है कि चौमासे में उन्हें खौफ के साये में दिन गुजारने को विवश होना पड़ता है।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में चौमासे के खौफनाक दिन, यानी वर्षाकाल के चार महीनों में अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूधंसाव, बादल फटना, नदियों बाढ़ जैसी आपदाएं भारी पड़ रही हैं। हर साल ही इसमें बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान झेलना पड़ रहा है। यह क्रम लगातार बढ़ रहा है इसके कारण क्या हैं यह शोध का विषय है।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा से प्रभावित गांवों की संख्या अधिक है। आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए वर्ष 2011 में सरकार के द्वारा नीति लाई गई थी, लेकिन शुरुआती दौर में इसके क्रियान्वयन की गति बेहद धीमी रही और इसका अंदाजा नीति लागू होने के बाद वर्ष 2012 से 2015 तक दो गांवों के 11 प्रभावित परिवार ही विस्थापित किए जा सके से लगाया जा सकता है। ऐसे में पुनर्वास नीति को लेकर प्रभावितों के बीच से सवाल उठने स्वाभाविक थे।
वर्ष 2016 के बाद सरकारों ने आपदा प्रभावितों के पुनर्वास की दिशा में तेजी से कदम उठाने का निश्चय किया। तत्पश्चात मुहिम को कुछ गति मिली और तब से अब तक 210 आपदा प्रभावित गांवों के 2257 परिवार विस्थापित किए जा चुके हैं। इस प्रकार वर्ष 2012 से अब तक 212 गांवों के 2268 परिवारों का पुनर्वास किया जा चुका है। जानकारों का कहना है कि पुनर्वास कार्य में अधिक तेजी लानी होगी।